तकनीकी विकास के आधार पर कम्प्यूटर प्रणाली के
विकास को निम्न कुछ भागो में बाँटा गया है।
- प्रथम पीढ़ी (1940-1956)
- द्वितीय पीढ़ी (1956-1963)
- तृतीय पीढ़ी (1964-1971)
- चतुर्थ पीढ़ी (1971-1985)
- पंचम पीढ़ी (1985-वर्तमान तक)
1. इस पीढ़ी के कंप्यूटरों में बैक्यूम टूयूब का प्रयोग किया गया था। इनसे प्राप्त गति 333 माक्रोसेकण्ड थी । ये आकार में बड़े और अधिक ऊष्मा उत्पन्न करने वाले थे इसमें सारे निर्देश तथा सूचनाएँ 0 व 1 के रूप में संग्रहित होती थी तथा इसमें मशीनी भाषा का प्रयोग किया गया था ।
VACUUM TUBE |
2. निर्वात टूयूब के
प्रयोग के कारण प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटरों में कमियां थी जिस कारण कंप्यूटरों में
निर्वात टूयूब की जगह हल्के तथा छोटे ट्रांजिस्टरों का प्रयोग किया जाने लगा डाटा संग्रहण के लिए मैग्ननेटिक डिस्क तथा टेप का प्रयोग प्रारंभ हो गया।इसमें कम्प्यूटर की गति में बदलाव आया था।
TRANSISTOR |
3. यहाँ तक आते आते ट्रांजिस्टर की जगह इंटीग्रेटेड सर्किट यानि आई०सी० ने ले ली और इस प्रकार कंप्यूटर का आकार
बहुत छोटा हो गया, और अब इन कंम्यूटरों की गति माइक्रो सेकंड से नेनो
सेकंड तक आ गयी जो कि इंटीग्रेटेड सर्किट के द्वारा संभव हो सका। आई सी (इंट्रीगेटेड
सर्किट का अविष्कार जे०एस० किल्बी ने किया । अब कंम्यूटर छोटे और सस्ते बनने
लगे साथ ही उपयोग में भी असान होने लगे ।
USE OF INTEGRATED CIRCUITS |
FORTH GENERATION |
पंचम पीढ़ी (1985-वर्तमान तक)
5. यूएलएसआई (अल्ट्रा लार्ज स्केल इन्टीग्रेसन), ऑप्टीकल डिस्क जैसी
चीजों का प्रयोग पंचम पीढ़ी में किया जाने लगा, कम से कम जगह में
अधिक डाटा स्टोर किया जाने लगा। जिससे पोर्टेबल पीसी, डेस्कटॉप पीसी, टेबलेट आदि के कारण इस क्षेत्र में
क्रांति आ गयी। इन्टरनेट, ईमेल, वर्ल्ड वाइड वेव का विकास हुआ।
FIFTH GENERATION |
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